सरबजीत सिंह गलती से सीमा पार कर गया था। उन्हीं दिनों 1990 में पाकिस्तान के लाहौर और फैसलाबाद में चार जगहों पर बम धमाके हुए जिसमें 14 लोगों की मौत हो गई थी। इसी सिलसिले में सरबजीत सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया। वहां सरबजीत सिंह को मनजीत सिंह के नाम से गिरफ्तार किया गया। उन पर जासूसी के आरोप लगे। लाहौर की एक अदालत में मुकदमा चला और 1991 में सरबजीत को मौत को सजा सुनाई गई। निचली अदालत की ये सजा हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने भी बहाल रखी। सरबजीत ने सुप्रीम कोर्ट में एक पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी जिसे 2006 में खारिज कर दिया गया। 06 मार्च 2008 को ये खबर आई कि मुशर्रफ ने सरबजीत की माफी की अपील को खारिज कर दिया। 16 मार्च 2008 को पाकिस्तान के समाचार एजेंसियों के हवाले से खबर आई कि सरबजीत की फांसी तारीख तय हो गई है और उसे 1 अप्रैल को फांसी दे दी जाएगी। ये खबर पाकिस्तान के एक अखबार डेली एक्सप्रेस में समाचार एजेंसी की तरफ से छपी थी। भारत सरकार के प्रयासों से 19 मार्च को ये खबर आई कि 30 अप्रैल तक के लिए सरबजीत की फांसी पर रोक लगा दी गई है। भारत के विदेश मंत्री प्रणब मुखर्जी ने संसद में ये बयान दिया कि पाकिस्तान में क़ैद भारतीय बंदी सरबजीत सिंह की फाँसी 30 अप्रैल तक टाल दी गई है। 21 अप्रैल 2008 को पाकिस्तान में मानवाधिकार मामलों के पूर्व मंत्री अंसार बर्नी ने सरबजीत राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ़ के पास एक दया याचिका भेजी है। इस याचिका में अंसार बर्नी ने अपील की है कि सरबजीत की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दी जाए या उन्हें रिहा कर दिया जाए।
जैसे ही जी न्यूज पर बहादुर दामिनी के उस बहादुर दोस्त ने सच बताना शुरू किया.. दिल्ली पुलिस की चरित्र रूपी कपड़े उतरने लगे.. पहले लगा एक दो कपड़े ही उतरेंगे.. लेकिन ऐसा नहीं हुआ.. दिल्ली पुलिस नंगी हो गई.. इतना ही नहीं केन्द्र सरकार का दुपट्टा भी सरक गया.. निर्दयी सरकार भी निर्वस्त्र हो गई.. दामिनी और उसका दोस्त 16 दिसंबर की रात सड़क पर पड़े तड़प रहे थे.. लेकिन अब निर्लज्ज दिल्ली पुलिस और बेशर्म सरकार लोगों के बीच नंगा है.. लेकिन इंतहा देखिए दोनों को कोई फर्क नहीं पड़ता.. जरा पूरी कहानी सुन लीजिए.. दामिनी के दोस्त ने क्या क्या बताया.. दिल्ली पुलिस का पहला कपड़ा ऐसे उतरा.. बस डेढ़ घंटे से ज्यादा समय तक दिल्ली की चमचमाती सड़कों दौड़ती रही.. उसमें गैंगरेप होता रहा.. दरिंदे दामिनी की अंतरियां बाहर निकालते रहे.. दिल्ली पुलिस ने कहा, बस में सिर्फ चालीस मिनट तक तक ये सब हुआ.. झूठी और बेशर्म दिल्ली पुलिस.. डेढ़ घंटे तक काले शीशे वाली बस को नामर्द दिल्ली पुलिस ने क्यों नहीं रोका.. दामिनी के दोस्त ने दूसरा कपड़ा भी उतार दिया— दिल्ली पुलिस की दो- तीन पीसीआर वैन पहुंची लेकिन.. वो
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