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मार्च, 2010 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

हिजड़ा मतलब गुंडा !

रात के 12 बजे ऑफिस से घर के लिए निकला। लक्ष्मी नगर में साईं के भक्त भंडारा कर रहे थे। लोगों की लंबी लाइन लगी थी। विश्वास नहीं हो रहा था कि रात के साढ़े 12 बजे महिला पुरूष भंडारे का लुत्फ उठाएंगे। मैं भी भंडारे के लिए लाइन में लग गया। भंडारे में लाइन की व्यवस्था ठीक रहे इसके लिए कई साईं भक्त देखभाल कर रहे थे। तभी दो हिजड़े लाइन में न लगकर सीधे भंडारे के पास पहुंचने लगे। कार्यकर्ताओं ने रोकने की कोशिश तो हिजड़े गुस्से में अपनी अदा दिखाने लगे। हिजड़े चीखने लगे... मुझे रोकने की कोशिश कर रहे हो... मुझसे बदतमीजी कर रहे हो... मुझे जानते नहीं तुम लोगों को देख लूंगा। लेकिन साईं भक्त भी मानने वाले नहीं ... जय साईं, जय साईं कहते हुए हिजड़ों को आगे जाने से रोक दिया। आखिरकार गाली गलौज करते हुए हिजड़े वहां से निकल लिए। मैं इस वाकये का गवाह था... सोचने लगा आखिर हिजड़े दादागीरी पर क्यों उतर आते हैं? भंडारे में खाया और घर आकर सो गया। सुबह नींद खुली तो घर की घंटी बजी। देखा एक हिजड़ा खड़ा था। कह रहा था/रही थी घर में बच्चा हुआ है पैसे निकालो। मैंने कहा भई बच्चा हुआ तो तुम्हें पैसे क्यों दूं। हिजड़ा- तुम्ह

वो क्यूं चला गया?.

शादी के 18 साल और बड़ी मन्नतों के बाद एक बेटा हुआ। बेटे के बाद तो भगवान ने झोलियां भर दी एक के बाद एक तीन बेटियों से घर भर गया। अब तक सास की तानों से परेशान थी अब भगवान ने सबकुछ दे दिया। बस थोड़ा कचोट तो होगा ही कि भगवान ने बेटा एक ही दिया... काश! तीन बेटियों में से एक बेटा होता????? घर में भेदभाव की नींव भी पड़ गई। बेटियों से लगाव न हो ऐसी बात नहीं थी। तीनों के लालन पालन में कोई कमी भी नहीं हुई लेकिन बेटा तो बेटा ही था। घर का अकेला चिराग वो भी शादी के 18 साल बाद जो आया था। बेटे को ज्यादा तवज्जो और बेटियों को थोड़ा कम। बेटे की पढ़ाई महंगे कॉन्वेंट स्कूल में बेटियों की पढ़ाई दिल्ली के सरकारी स्कूलों में। बेटे को लाड़ प्यार ने बिगाड़ दिया मन आसमान छूने लगा। बड़े घर के बेटों के बीच पढ़ाई करके खुद को भी करोड़पति समझने लगा था। बेटियां हमेशा कायदे में रही घर के हालात के मुताबिक बिल्कुल फिट। बेटे ने सपना देखा.... सपनों में छलांग लगाई... आसमान में उड़ता रहा। बेटा घर के हालात से बेफिक्र रहा या फिर मां-बाप ने हालत समझने ही नहीं दिया। नौंवी क्लास तक आते आते बेटे की इच्छाओं पर कुठाराघात होने लगा।