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दामिनी को दिल्ली पुलिस ने मारा ?

आज गैंगरेप पीड़ित दामिनी के लिए पूरा देश रो रहा है.. हर घर में लोग शोक मना रहे हैं.. चौक-चौराहों पर सिर्फ दामिनी की चर्चा है.. लेकिन एक सवाल जो इन सबके बीच दब गया है.. वो ये कि दामिनी को किसने मारा ? इस सवाल का जवाब ढूंढे उससे पहले दामिनी को श्रद्धांजलि.. हम उस साहसी लड़की के शोक संतप्त परिवार के साथ हैं.. साथ ही हमारी सहानुभूति देश के व्यवस्था की नाकामी से दरिंदों के शिकार हुए हर दामिनी के साथ है.. फिर वही सवाल की दामिनी को किसने मारा ? दामिनी को दिल्ली पुलिस ने मारा.. दामिनी को सोनिया-मनमोहन सरकार ने मारा.. दामिनी को शीला सरकार ने मारा.. दामिनी मरी नहीं मार दी गई है.. दिल्ली पुलिस को जिस काम में लगाया गया है वो काम नहीं कर पा रही है.. दिल्ली पुलिस दिल्ली के लोगों को सुरक्षा नहीं दे पा रही है.. बहन बेटियों की इज्जत यहां महफूज नहीं है.. ये दिल्ली पुलिस दरिंदों की साथी है.. चोर-बदमाशों उच्चकों की शुभचिंतक है.. इमानदार दिल्लीवालों के लिए ये दिल्ली पुलिस नहीं है.. और इस दिल्ली पुलिस की इस दशा के लिए सोनिया-मनमोहन की केन्द्र सरकार जिम्मेदार है.. दामिनी क मौत के बाद उसके मां-बाप को भ

क्या असीम का 'देशद्रोह' वाकई देशद्रोह है?

अंग्रेजों ने भारत पर हुकुमत कायम रखने के लिए और देशभक्तों को काबू में रखने के लिए देशद्रोह कानून बनाया था। उस वक्त इसे सैडीशन लॉ कहा गया, यानि देशद्रोह का कानून। लेकिन आजादी के बाद भारतीय संविधान में उसे अपना लिया गया। भारतीय दंड संहिता के अनुच्छेद 124 A के मुताबिक अगर कोई भी व्यक्ति सरकार-विरोधी सामग्री लिखता है या बोलता है या फिर ऐसी सामग्री का समर्थन भी करता है तो उसे आजीवन कारावास या तीन साल की सज़ा हो सकती है। ब्रिटेन ने ये कानून अपने संविधान से हटा दिया है , लेकिन भारत के संविधान में ये कानून आज भी मौजूद है। आखिर क्यों ? मेरे हिसाब से तो गोले अंग्रेज चले गए लेकिन काले अंग्रेज जमे हुए हैं।