दो कदम गुर्जर चले तो दो कदम राजस्थान सरकार चली। लेकिन ये क्या ये कदम निश्छल और नापाक हैं? खैर इन सवालों के जवाब आने में अभी वक्त लगेंगे, इंतजार कीजिए। सोमवार यानि 9 जून को दो पक्ष आपस में मिलेंगे। दोनों पक्ष एक दूसरे को शंकित नजरों से देखता रहा है, इसमें भी कोई दो राय नहीं। जहां गुर्जरों का कहना है कि वोट पाने के लिए बीजेपी ने उनसे वायदा किया था और वोट मिलने के बाद वायदे से मुकर गई। वहीं राजस्थान सरकार के अपने तर्क हैं। सरकार ने चोपड़ा समिति बनाकर मुद्दे को टालने की कोशिश की थी। लेकिन गुर्जर अड़ गए तो वसुंधरा राजे ने केंन्द्र को चिट्ठी लिखकर गुर्जरों को डिनोटिफाइड श्रेणी यानि घूमंतू जाति के तहत तीन से चार फीसदी आरक्षण देने की मांग की। लेकिन केन्द्र ने भी गेंद फिर से वसुंधरा के पाले में डाल दिया। केन्द्र सरकार का कहना था कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग से अलग श्रेणी में आरक्षण का प्रावधान करने का अधिकार राज्यों को है, और राज्य खुद ही ऐसा कर सकता है। केन्द्र के पलटवार के बाद वसुंधरा सरकार के माथे पर बल पड़ गए। गुर्जरों को शांत करने के लिए वार्ता का प्रस्ताव रखा, लेकिन गुर्जर आरक्षण की मांग पर अड़े हैं। ऐसे में सोमवार की बैठक में शायद ही कोई बीच का रास्ता निकल पाए। गुर्जर नेता उन जिंदगियों का हिसाब मांगेंगे जो आरक्षण की मांग के दौरान पुलिस की गोलियों का शिकार बने। अगर गुर्जर नेता झुक गए तो आम गुर्जरों की भावना आहत होगी। उन्हें लगेगा कि नेता राजनीति कर रहे हैं। वहीं सरकार गुर्जरों को अनुसूचित श्रेणी में डालकर मीणाओं को नाराज करने से परहेज करेगी। लेकिन चुनाव को देखते हुए गुर्जरों को नाराज करना भी सरकार के बूते की बात नहीं।
जैसे ही जी न्यूज पर बहादुर दामिनी के उस बहादुर दोस्त ने सच बताना शुरू किया.. दिल्ली पुलिस की चरित्र रूपी कपड़े उतरने लगे.. पहले लगा एक दो कपड़े ही उतरेंगे.. लेकिन ऐसा नहीं हुआ.. दिल्ली पुलिस नंगी हो गई.. इतना ही नहीं केन्द्र सरकार का दुपट्टा भी सरक गया.. निर्दयी सरकार भी निर्वस्त्र हो गई.. दामिनी और उसका दोस्त 16 दिसंबर की रात सड़क पर पड़े तड़प रहे थे.. लेकिन अब निर्लज्ज दिल्ली पुलिस और बेशर्म सरकार लोगों के बीच नंगा है.. लेकिन इंतहा देखिए दोनों को कोई फर्क नहीं पड़ता.. जरा पूरी कहानी सुन लीजिए.. दामिनी के दोस्त ने क्या क्या बताया.. दिल्ली पुलिस का पहला कपड़ा ऐसे उतरा.. बस डेढ़ घंटे से ज्यादा समय तक दिल्ली की चमचमाती सड़कों दौड़ती रही.. उसमें गैंगरेप होता रहा.. दरिंदे दामिनी की अंतरियां बाहर निकालते रहे.. दिल्ली पुलिस ने कहा, बस में सिर्फ चालीस मिनट तक तक ये सब हुआ.. झूठी और बेशर्म दिल्ली पुलिस.. डेढ़ घंटे तक काले शीशे वाली बस को नामर्द दिल्ली पुलिस ने क्यों नहीं रोका.. दामिनी के दोस्त ने दूसरा कपड़ा भी उतार दिया— दिल्ली पुलिस की दो- तीन पीसीआर वैन पहुंची लेकिन.. वो
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