अंग्रेजों ने भारत पर हुकुमत कायम रखने के लिए और देशभक्तों को काबू में रखने
के लिए देशद्रोह कानून बनाया था। उस वक्त इसे सैडीशन लॉ कहा गया, यानि देशद्रोह का
कानून। लेकिन आजादी के बाद भारतीय संविधान में उसे अपना लिया गया। भारतीय
दंड संहिता के अनुच्छेद 124 A के मुताबिक अगर कोई भी
व्यक्ति सरकार-विरोधी सामग्री लिखता है या बोलता है या फिर ऐसी सामग्री का समर्थन
भी करता है तो उसे आजीवन कारावास या तीन साल की सज़ा हो सकती है। ब्रिटेन ने ये कानून
अपने संविधान से हटा दिया है, लेकिन भारत के संविधान में ये कानून
आज भी मौजूद है। आखिर क्यों? मेरे हिसाब से तो गोले अंग्रेज
चले गए लेकिन काले अंग्रेज जमे हुए हैं।
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