अंग्रेजों ने भारत पर हुकुमत कायम रखने के लिए और देशभक्तों को काबू में रखने
के लिए देशद्रोह कानून बनाया था। उस वक्त इसे सैडीशन लॉ कहा गया, यानि देशद्रोह का
कानून। लेकिन आजादी के बाद भारतीय संविधान में उसे अपना लिया गया। भारतीय
दंड संहिता के अनुच्छेद 124 A के मुताबिक अगर कोई भी
व्यक्ति सरकार-विरोधी सामग्री लिखता है या बोलता है या फिर ऐसी सामग्री का समर्थन
भी करता है तो उसे आजीवन कारावास या तीन साल की सज़ा हो सकती है। ब्रिटेन ने ये कानून
अपने संविधान से हटा दिया है, लेकिन भारत के संविधान में ये कानून
आज भी मौजूद है। आखिर क्यों? मेरे हिसाब से तो गोले अंग्रेज
चले गए लेकिन काले अंग्रेज जमे हुए हैं।
जैसे ही जी न्यूज पर बहादुर दामिनी के उस बहादुर दोस्त ने सच बताना शुरू किया.. दिल्ली पुलिस की चरित्र रूपी कपड़े उतरने लगे.. पहले लगा एक दो कपड़े ही उतरेंगे.. लेकिन ऐसा नहीं हुआ.. दिल्ली पुलिस नंगी हो गई.. इतना ही नहीं केन्द्र सरकार का दुपट्टा भी सरक गया.. निर्दयी सरकार भी निर्वस्त्र हो गई.. दामिनी और उसका दोस्त 16 दिसंबर की रात सड़क पर पड़े तड़प रहे थे.. लेकिन अब निर्लज्ज दिल्ली पुलिस और बेशर्म सरकार लोगों के बीच नंगा है.. लेकिन इंतहा देखिए दोनों को कोई फर्क नहीं पड़ता.. जरा पूरी कहानी सुन लीजिए.. दामिनी के दोस्त ने क्या क्या बताया.. दिल्ली पुलिस का पहला कपड़ा ऐसे उतरा.. बस डेढ़ घंटे से ज्यादा समय तक दिल्ली की चमचमाती सड़कों दौड़ती रही.. उसमें गैंगरेप होता रहा.. दरिंदे दामिनी की अंतरियां बाहर निकालते रहे.. दिल्ली पुलिस ने कहा, बस में सिर्फ चालीस मिनट तक तक ये सब हुआ.. झूठी और बेशर्म दिल्ली पुलिस.. डेढ़ घंटे तक काले शीशे वाली बस को नामर्द दिल्ली पुलिस ने क्यों नहीं रोका.. दामिनी के दोस्त ने दूसरा कपड़ा भी उतार दिया— दिल्ली पुलिस की दो- तीन पीसीआर वैन पहुंची लेकिन.. वो
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