आखिरकार नव भारत टाइम्स ने ये साबित कर दिया कि ज्यादातर हिंदी न्यूज चैनव वाले अखबार से या अखबार की वेबसाइट से खबर चुराते हैं। कभी कभी तो अखबार की Exclusive खबर पर भी हाथ साफ कर देते हैं। एक अप्रैल को नवभारत टाइम्स ने चैनलों को रंगे हाथों पकड़ा ही नहीं... दर्शकों के सामने नंगा भी कर दिया। हुआ यूं कि एक अप्रैल को नवभारत टाइम्स पर ‘सानिया को सास की नसीहत’ की खबर छपी। खबर में लिखा था कि सानिया की सास नहीं चाहती कि वो स्कर्ट पहनकर टेनिस खेलें और पराए मर्दों से ज्यादा घुले मिले। इतना ही नहीं नवभारत टाइम्स की वेबसाइट पर सानिया की सास का नाम और सास का इंटरव्यू छापने वाले अखबार का भी नाम दिया गया था। फिर क्या था हिंदी चैनलों के बड़े-बड़े पत्रकार इस खबर को पहले दिखाने के चक्कर में ग्राफिक्स बनवाने लगे। कूद कूद कर जूनियर को जल्दी खबर करने के लिए कहने लगे। कुच चैनल तो चेप्टर (text gfx) के साथ खबर लेकर लाइव उतर गए। पाकिस्तान से फोनो चलने लगा। पाकिस्तान के भी कुछ रिपोर्टर जैसे भारतीय न्यूज चैनलों में फोनो देने के लिए तैयार ही बैठे रहते हैं। एक चैनल पर ‘सानिया को सास की नसीहत’ खबर चली नहीं कि दूसरे चैनल के वरिष्ठ पत्रकार जूनियरों पर पिल पड़े – तुम लोग कुछ नहीं कर सकते देखो, फलां चैनल फिर बाजी मार गया.... तुम लोग निकम्मे हो ... अबे जल्दी चलाओ... ग्राफिक्स का इंतजार मत करो, चेप्टर से उतर जाओ ...पाकिस्तान से फोनो लो ... इधर खबरिया चैनल के पत्रकार खबर चलाने में व्यस्त थे उधर नवभारत टाइम्स के दफ्तर में तालियां बज रही थी, हर कोई कह रहा था देखो पकड़ लिया चोर चैनल वालों को... खोल दी इनकी लंगोट अब और करो चोरी। चैनल पर ये खबर उस समय गिर गई जब पाकिस्तान से शोएब मलिक के जीजा ने खबर का खंडन किया। नवभारत टाइम्स ने अपनी वेबसाइट पर पूरी खबर छाप दी। ये भी बता दिया कि सानिया की सास का जो नाम लिखा गया था वो भी सही नहीं था। साथ ही जिस पाक अखबार के हवाले से खबर लिखी गई थी, वैसा कोई अखबार है ही नहीं। ये झूठी खबर सिर्फ चैनव वालों को मूर्ख बनाने और रंगे हाथों पकड़ने के लिए था।
जैसे ही जी न्यूज पर बहादुर दामिनी के उस बहादुर दोस्त ने सच बताना शुरू किया.. दिल्ली पुलिस की चरित्र रूपी कपड़े उतरने लगे.. पहले लगा एक दो कपड़े ही उतरेंगे.. लेकिन ऐसा नहीं हुआ.. दिल्ली पुलिस नंगी हो गई.. इतना ही नहीं केन्द्र सरकार का दुपट्टा भी सरक गया.. निर्दयी सरकार भी निर्वस्त्र हो गई.. दामिनी और उसका दोस्त 16 दिसंबर की रात सड़क पर पड़े तड़प रहे थे.. लेकिन अब निर्लज्ज दिल्ली पुलिस और बेशर्म सरकार लोगों के बीच नंगा है.. लेकिन इंतहा देखिए दोनों को कोई फर्क नहीं पड़ता.. जरा पूरी कहानी सुन लीजिए.. दामिनी के दोस्त ने क्या क्या बताया.. दिल्ली पुलिस का पहला कपड़ा ऐसे उतरा.. बस डेढ़ घंटे से ज्यादा समय तक दिल्ली की चमचमाती सड़कों दौड़ती रही.. उसमें गैंगरेप होता रहा.. दरिंदे दामिनी की अंतरियां बाहर निकालते रहे.. दिल्ली पुलिस ने कहा, बस में सिर्फ चालीस मिनट तक तक ये सब हुआ.. झूठी और बेशर्म दिल्ली पुलिस.. डेढ़ घंटे तक काले शीशे वाली बस को नामर्द दिल्ली पुलिस ने क्यों नहीं रोका.. दामिनी के दोस्त ने दूसरा कपड़ा भी उतार दिया— दिल्ली पुलिस की दो- तीन पीसीआर वैन पहुंची लेकिन.. वो
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