सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

वो क्यूं चला गया?.


शादी के 18 साल और बड़ी मन्नतों के बाद एक बेटा हुआ। बेटे के बाद तो भगवान ने झोलियां भर दी एक के बाद एक तीन बेटियों से घर भर गया। अब तक सास की तानों से परेशान थी अब भगवान ने सबकुछ दे दिया। बस थोड़ा कचोट तो होगा ही कि भगवान ने बेटा एक ही दिया... काश! तीन बेटियों में से एक बेटा होता????? घर में भेदभाव की नींव भी पड़ गई। बेटियों से लगाव न हो ऐसी बात नहीं थी। तीनों के लालन पालन में कोई कमी भी नहीं हुई लेकिन बेटा तो बेटा ही था। घर का अकेला चिराग वो भी शादी के 18 साल बाद जो आया था। बेटे को ज्यादा तवज्जो और बेटियों को थोड़ा कम। बेटे की पढ़ाई महंगे कॉन्वेंट स्कूल में बेटियों की पढ़ाई दिल्ली के सरकारी स्कूलों में। बेटे को लाड़ प्यार ने बिगाड़ दिया मन आसमान छूने लगा। बड़े घर के बेटों के बीच पढ़ाई करके खुद को भी करोड़पति समझने लगा था। बेटियां हमेशा कायदे में रही घर के हालात के मुताबिक बिल्कुल फिट। बेटे ने सपना देखा.... सपनों में छलांग लगाई... आसमान में उड़ता रहा। बेटा घर के हालात से बेफिक्र रहा या फिर मां-बाप ने हालत समझने ही नहीं दिया। नौंवी क्लास तक आते आते बेटे की इच्छाओं पर कुठाराघात होने लगा। शायद करोड़पति दोस्तों जैसी सुविधा नहीं मिली, हालांकि मां बाप के प्यार में कोई कमी नहीं रही, लेकिन उसके मन मष्तिष्क का आधार करोड़पति बच्चों जैसा बन गया था। इच्छाएं पूरी नहीं हुई तो सर्किल भी खराब हो गया। पढ़ाई से मन उचटने लगा। किसी तरह दसवीं पास की और आगे न पढ़ने की जैसे कसम ही खा ली। उसे तो बस इतनी पढ़ाई में ही अमीर बनना था। किसी तरह बारहवीं की पढ़ाई भी पूरी हो गई। बात रोजगार की आई तो कॉल सेंटर में नौकरी कर ली। कॉल सेंटर की नौकरी से भी मन उचट गया। उसका मन कहीं नहीं लगता था... वो शराब भी पीने लगा था। घरवाले परेशान रहते कि आखिर ये चाहता क्या है... इसकी इच्छाएं क्या हैं? उसे जितना समझने की कोशिश की गई घरवाले उतने ही कन्फ्यूज होते गए। या तो वो घरवालों को नहीं समझ पा रहा था या फिर घरवाले उसे नहीं समझ पा रहे थे। घर के मुखिया इनकमटैक्स की नौकरी से रिटायर्ड हो गए। घर के मुखिया ने छोटा मोटा रोजगार भी शुरू कर दिया और इकलौटे बेटे को उसमें शामिल कर लिया। करोड़पति बनने के ख्वाब देखने वाला इकलौता अपने काम से खुश नहीं था। वो जल्दी से जल्दी ज्यादा से ज्यादा कमाना चाहता था। उसके महंगे शौक थे। घरवालों ने ये सोचकर शादी करवा दी कि शायद उसकी जिंदगी एक ढर्रे पर आ जाए। शादी के बाद भी एकलौते बेटे का मन शांत नहीं हुआ, पता नहीं उसे अब भी किस चीज की तलाश थी। इतनी कम उम्र में हार्ट की बीमारी भी हो गई। टेंट का बिजनेस पूरी लगन के साथ करता था लेकिन मन की इच्छाओं को कभी शांत नहीं कर पाया। वो अंदर ही अंदर सपने बुनता रहा और सपने को मरते हुए देखता रहा। अब उसका कोई दोस्त नहीं था जिसके सामने दिल की बात कहता। पत्नी से भी कुछ नहीं कहता था। हर घर की तरह अपने घर में भी सास-बहू के बीच होने वाली हल्की नोंक झोंक से भी थोड़ा परेशान रहता था। 7 फरवरी 2010 की रात... हर रात की तरह वो करीब 12 बजे घर लौटा। हल्की शराब भी पी रखी थी। बेवजह पत्नी को डांट दिया... पत्नी ड्राईंग रूम में सोने चली गई। रात के 2 बजे जब कमरे में लौटी तो घर के इकलौते चिराग का शरीर ठंडा पड़ा था। घरवाले जाग गए... अस्पताल ले जाया गया ... जहां इमरजेंसी में ईसीजी मशीन की रिपोर्ट में एक लंबी सीधी लाइन के सिवा कुछ नहीं आया ... भरे पूरे परिवार का इकलौता चिराग अब नहीं था। हार्ट अटैक, ब्रेन हैमरेज या फिर आत्महत्या ... रहस्य बरकरार है ... पुलिस की तफ्तीश जारी है ...(एक सच्ची घटना पर आधारित)(लोगों का नाम देना उचित नहीं समझा)

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

जी न्यूज पर दिल्ली पुलिस के कपड़े उतरे... सरकार का दुपट्टा सरका...

जैसे ही जी न्यूज पर बहादुर दामिनी के उस बहादुर दोस्त ने सच बताना शुरू किया.. दिल्ली पुलिस की चरित्र रूपी कपड़े उतरने लगे.. पहले लगा एक दो कपड़े ही उतरेंगे.. लेकिन ऐसा नहीं हुआ.. दिल्ली पुलिस नंगी हो गई.. इतना ही नहीं केन्द्र सरकार का दुपट्टा भी सरक गया.. निर्दयी सरकार भी निर्वस्त्र हो गई.. दामिनी और उसका दोस्त 16 दिसंबर की रात सड़क पर पड़े तड़प रहे थे.. लेकिन अब निर्लज्ज दिल्ली पुलिस और बेशर्म सरकार लोगों के बीच नंगा है.. लेकिन इंतहा देखिए दोनों को कोई फर्क नहीं पड़ता.. जरा पूरी कहानी सुन लीजिए.. दामिनी के दोस्त ने क्या क्या बताया.. दिल्ली पुलिस का पहला कपड़ा ऐसे उतरा.. बस डेढ़ घंटे से ज्यादा समय तक दिल्ली की चमचमाती सड़कों दौड़ती रही.. उसमें गैंगरेप होता रहा.. दरिंदे दामिनी की अंतरियां बाहर निकालते रहे.. दिल्ली पुलिस ने कहा, बस में सिर्फ चालीस मिनट तक तक ये सब हुआ.. झूठी और बेशर्म दिल्ली पुलिस.. डेढ़ घंटे तक काले शीशे वाली बस को नामर्द दिल्ली पुलिस ने क्यों नहीं रोका.. दामिनी के दोस्त ने दूसरा कपड़ा भी उतार दिया— दिल्ली पुलिस की दो- तीन पीसीआर वैन पहुंची लेकिन.. वो

श्वास लेने का ये तरीक़ा ज़िंदगी बदल सकता है

ऋषि मुन्नियों को वो गुप्त ज्ञान जिसके द्वारा उन्हें ओजपूर्ण ज़िंदगी और लंबी उम्र मिलती थी। जी हाँ यौगिक डीप ब्रीदिंग आपको एक नया जीवन दे सकता है। क्या है ये यौगिक श्वसन? क्दया आपने कभी एक नवजात बच्चे को श्वास लेते हुए देखा है? वो पेट ऊपर करते हुए श्वास लेता है और पेट अंदर करते हुए श्वास बाहर निकाल देता है। यानि पहले लंग्स के लोअर लोब में श्वास भरें फिर लंग्स के ऊपरी हिस्से तक। फिर जब श्वास छोड़ें तो पहले ऊपरी हिस्से से श्वास निकालें फिर पेट अंदर करते हुए पूरा श्वास बाहर कर दें। इसी पर मैंने अपने  यूट्यूब चैनल Yoga guru Kaushal Kumar Kamal पर डीटेल में यौगिक श्वसन की पूरी जानकारी दी है। इसे ज़रूर देखें और अपनी राय दें।  https://youtu.be/xpXsGRwXQ94

केन उपनिषद् के महत्वपूर्ण मंत्र

For UGC NET-JRF  ओम केनेषितं पतति प्रेषितं मन:।। ((किससे सत्ता स्फूर्ति पाकर मन जो विषयों में जाता है..)) चक्षु: श्रोतं क उ देवो युनक्ति।। ((नेत्र और कान को कौन नियुक्त करते हैं)) न तत्र चक्षुर्गच्छति, न वाग्गच्छति...।। ((न वहां आंख जा सकती है, न वाणी पहुंच सकती है)) विद्धि नेदं यदिदमुपासते...।।  ((कई बार ये मंत्र है)) ((जिन्हें ऐसा जानकर लोग उपासना करते हैं वो ब्रह्म नहीं हैं)) ...नो न वेदेति वेद च।। ((ये मंत्र भी उपनिषद् में कई बार आया है)) ((नहीं जानता हूं ये भी नहीं कहता।)) अविज्ञातं विजानतां विज्ञातम् अविजानताम्।। ((जानने का अभिमान रखने वालों के लिए जाना हुआ नहीं है.. जिन्हें अभिमान नहीं है उनका तो जाना ही हुआ है)) ...अग्नि अहमस्मीत्य ब्रवीज्जातवेदा।। ((मैं ही प्रसिद्ध अग्नि हूं, मैं ही जातवेदा के नाम से प्रसिद्ध हूं।)) ...वायुर्वा अहमस्मीत्य ब्रवीन्मातरिश्वा वा अहमस्मीति।। ((मैं ही प्रसिद्ध वायुदेव हूं, मैं ही मातरिश्वा के नाम से प्रसिद्ध हूं।।)) सा ब्रह्मेति होवाच..।। ((उमा देवी ने कहा, वे तो परब्रह्म परमात्मा हैं।)) तस्यैष आदेशो यदेतद्विद्युतो व्यद्युतदा।। उस ब्रह्म का आदेश है,