दिल्ली पुलिस का एक चेहरा देखा तो सन्न रह गया। बीते साल नवंबर में कनॉट प्लेस में था। फुटपाथ पर दुकानदारों का मजमा लगा था। दुकानदार और खरीदार में मोल तोल कर रहे थे। ठीक उसी जगह पर सड़क किनारे पुलिस की पीसीआर वैन खड़ी थी। कुछ पुलिस वाले भी दुकान पर सामान देख रहे थे। एक महिला पुलिसकर्मी भी मौजूद थीं। ठीक उसी वक्त एक दुकानदार को दो ग्राहकों ने तड़ातड़ थप्पड़ जड़ दिए। फिर देखते ही देखते तीन चार दुकानदार जमा हो गए और दोनों ग्राहकों की जमकर धुनाई शुरू कर दी। माहौल बिल्कुल फिल्मी था। स्टाइल में मारपीट, गाली- गलौज हो रही थी। रंग बिरंग की गालियां पड़ रही थीं। मैं भी सड़क पर खड़ा होकर तमाशबीन बन गया। मेरी नजर उन पुलिसवालों की तरफ गई मेरी तरह ही तमाशा देख रहे थे। मुझे लगा अब पुलिस वाले हस्तक्षेप करेंगे। दोनों पक्ष को मारपीट से रोकेंगे। लेकिन ये क्या पुलिस वाले तो निकल लिए। जो पुलिसवाले अब तक खड़े थे वो जाकर पीसीआर वैन में बैठ गए और वैन आगे बढ़ गई। मैं सन्न रह गया। ये कैसी पुलिस ?
For UGC NET-JRF ओम केनेषितं पतति प्रेषितं मन:।। ((किससे सत्ता स्फूर्ति पाकर मन जो विषयों में जाता है..)) चक्षु: श्रोतं क उ देवो युनक्ति।। ((नेत्र और कान को कौन नियुक्त करते हैं)) न तत्र चक्षुर्गच्छति, न वाग्गच्छति...।। ((न वहां आंख जा सकती है, न वाणी पहुंच सकती है)) विद्धि नेदं यदिदमुपासते...।। ((कई बार ये मंत्र है)) ((जिन्हें ऐसा जानकर लोग उपासना करते हैं वो ब्रह्म नहीं हैं)) ...नो न वेदेति वेद च।। ((ये मंत्र भी उपनिषद् में कई बार आया है)) ((नहीं जानता हूं ये भी नहीं कहता।)) अविज्ञातं विजानतां विज्ञातम् अविजानताम्।। ((जानने का अभिमान रखने वालों के लिए जाना हुआ नहीं है.. जिन्हें अभिमान नहीं है उनका तो जाना ही हुआ है)) ...अग्नि अहमस्मीत्य ब्रवीज्जातवेदा।। ((मैं ही प्रसिद्ध अग्नि हूं, मैं ही जातवेदा के नाम से प्रसिद्ध हूं।)) ...वायुर्वा अहमस्मीत्य ब्रवीन्मातरिश्वा वा अहमस्मीति।। ((मैं ही प्रसिद्ध वायुदेव हूं, मैं ही मातरिश्वा के नाम से प्रसिद्ध हूं।।)) सा ब्रह्मेति होवाच..।। ((उमा देवी ने कहा, वे तो परब्रह्म परमात्मा हैं।)) तस्यैष आदेशो यदेतद्विद्युतो व्यद्युतदा।। उस ब्रह्म का...
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