लालू जी रेल मंत्री नहीं रहे तो क्या हुआ, ये ट्रेन अपना ही तो है। कहीं भी वेक्यूम कर दो। ट्यूबलाइट, बल्ब खोल लो। आखिर सरकारी संपत्ति जो है। अपना हिस्सा तो लेकर रहेंगे। पटना के पास सटे बख्तियारपुर के उपद्रवी सैंकड़ों लोगों से यात्रियों से भरी ट्रेन को पहले तो रोक दिया फिर इंजन खोलकर ले उड़े। रेलवे ने लॉ एंड ऑर्डर का मामला सरकार के अधीन कहकर पल्ला झाड़ लिया। दानापुर- टाटा एक्सप्रेस के यात्री बेबस और लाचार हो गए। उपद्रवी ट्रेन को बपौती संपत्ति समझ छह किलोमीटर दूर तक ले गए। इंजन को पटरी से नहीं उतार पाए नहीं तो अपने घर ले जाते। एक तरफ तो इमानदार दरोगा के ट्रांसफर का विरोध कर जागरूकता का परिचय दिया। वहीं दूसरी तरफ नेशनल हाईवे पर जाम लगाकर और ट्रेन रोककर मूर्खता और बर्बरता का परिचय दिया। आखिर किसने दिया इन्हें ये अधिकार ? 6 किलोमीटर तक इंजन ले जाने के वक्त पुलिस कहां थी। सबको पता है अगर पुलिस चाहती तो 2 मिनट में उपद्रवियों को सबक सिखा देती। क्या इंजन लेकर भागने वाले अनपढ़ गंवार थे? भैया होंगे भी क्यों नहीं जब पढ़ाने वाले ज्यादातर शिक्षामित्र ही लुच्चे लफंगे हैं तो सीख भी तो वैसी ही देंगे। उपद्रवियों में ज्यादातर 8 साल से 16 साल के बीच के बच्चे शामिल थे। नीतीश जी संभल जाइये नहीं तो किसी दिन आपको भी उठाकर ले जाएंगे ...
मेरी अभी शादी नहीं हुई है लेकिन होने वाली है। कुछ लोग शादी के नाम से डराते हैं तो कुछ इसे जिंदगी का सबसे बेहतरीन पल बताते हैं। मुझे नहीं पता सच क्या है। मेरे एक दोस्त जिनकी शादी के 13 साल हो गए उन्होंने अपने अनुभव बताए। दोस्त के 13 साल के अनुभवों का सार - पतियों के लिए पत्नियों को खुश रखने के कुछ मंत्र .... इस मंत्र को फॉलो कर कोई भी अपनी पत्नी के आंखों का तारा बन सकता है --- मंत्र बिना बात के पत्नी की तारीफ करते रहो बिना गलती के सॉरी बोलते रहो तीसरा मंत्र (ये सबपर लागू नहीं होता) जितने रुपए मांगे निर्वाध रूप से देते रहो मुझे नहीं पता उपरोक्त कथन में कितनी सच्चाई है। मैं आप सभी शादीशुदा विद्वजनों से सप्रेम निवेदन करता हूं कि अपने विचार जरूर प्रेषित करें।
टिप्पणियाँ
फिर सोच लो ये दुनिया वालो, अंजामे गुलिस्ताँ क्या होगा ?
घुघूती बासूती